गुड़ी पड़वा पूजन

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नव वर्ष शके १९४७ विश्वावसु नाम संवत्सरे
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🚩 गुडी पाडवा महात्म्य🚩
भारत देश मे ही सबसे ज्यादा त्योहार मनाएं जाते है,हर त्योहार एक अलग महत्व रखता है और यह त्योहार सृष्टी और विज्ञान सम्मत होते है।
कहते है कि इसी दिन ब्रम्हाजी ने सृष्टी की रचना करी इसलिए इस दिन से नये वर्ष का आरंभ माना जाता है।
यह वसंत ऋतु और चैत्र मास का संधिकाल है। इस वक्त आम पर बौर आता है,अनाज फल-फूल कर कटाई हो जाती है। नीम को भी नया बौर आता है जो मोहक सुगंध से सारा वातावरण प्रसन्न कर देता है। ऋतु परीवर्तन, नये अनाज और फल फूल के आने की खूशी में हम यह उत्सव मनाते है।
भारतीय संस्कृती हमेशा से ही मिल बांटकर खाने का संदेश देती है। वसुधैव कुटुंबकम् यह इस संस्कृती का मूलमंत्र है।
त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम रावण का वध करके वापस अयोध्या आए तो अयोध्या के नगर वासियों ने उनके स्वागत मे एक कपडा ( साडी या धोती), एक पात्र उसमे कुछ अनाज और मिठाई भरकर बांटने लगे और उसी का प्रतिकात्मक हम गुडी लगाते है…एक लकडी के डंडे पर उन सब चीजो को बांधकर घर के आंगन में खडी करते है,जो यह दर्शाता है की हमे देना भी चाहिए। इसे ही ब्रम्ह ध्वज कहा गया है।
🚩🚩क्योंकी भारतीय संस्कृती यह हमेशा समाज से और निसर्ग से जो भी लेती है उसका दसवा हिस्सा समाज और निसर्ग को देती है जिससे यह धन संपदा शुद्ध होती है। 🚩🚩
🚩 यह उलटा पात्र या प्याला उसी का प्रतिक है। 🚩
🚩 अत्यंत महान है यह सनातन संस्कृती।🚩
हिंदू नववर्ष को भारत में अलग अलग स्थान पर अलग अलग नाम से जाना जाता है।
गुड़ी पड़वा – महाराष्ट्र
बिहु- असम
चेटीचंड- सिंधी समाज
नवरेह – जम्मू कश्मीर
पुतान्दु- तमिलनाडु
संवत्सर पद्वो- गोवा और केरल
उगादि- कर्नाटक, आंध्रप्रदेश
हर एक काल में इस दिन से ही कुछ नया प्रारंभ किया गया है।
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*सतयुग मे ब्रम्हपुराण के अनुसार आज के दिन से सृष्टी के संचालन का कार्य प्रारंभ किया था।
*त्रेतायुग में इसी दिन भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था।
*द्वापर युग मे असत्य पर सत्य को विजय मिला और युधिष्ठिर संवत का प्रारंभ हुआ।
इसी ब्रम्ह ध्वज को पुन: भव्य समारोह के तहत🚩 ‘विजय ध्वज’ 🚩प्रतीक के रुप मे महाराष्ट्र मे छत्रपती शिवाजी महाराज ने मनाया था।
🚩इसलिए भगवान श्रीराम के वक्त मनाया हुआ उत्सव महाराष्ट्र मे फिर से शुरु हुआ। बाकी प्रदेशो में इसे मनाते है लेकिन इतिहास के पन्नो मे सिर्फ नवसंवत्सर या नया साल के नाम से ही मनाते है,गुडी के रुप से नही। 🚩
यह भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक की खूशी के वक्त मनाया गया उत्सव भूला दिया गया।
कृपया इस संस्कृती का जतन करे और कराएं।
🚩जयतु सनातन 🚩
इस नव संवत्सर की सभी सनातनीयो को बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
आपका यह साल धन धान्य, आरोग्य, समृध्दी से परिपूर्ण रहे।
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