नवरात्रि पूजन

🚩 नवरात्री पूजा विधी🚩
नवरात्रि हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हिंदुओं के लिए साल में 5 नवरात्रि होती हैं – शारदीय नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि, पौष नवरात्रि और माघ नवरात्रि। 5 नवरात्रियों में सबसे महत्वपूर्ण शारदीय नवरात्रि है और इसे अक्सर महा नवरात्रि कहा जाता है। यह शरद ऋतु के दौरान चंद्र माह अश्विन में आती है। शारदीय नवरात्रि नाम शरद ऋतु से लिया गया है। हमने नवरात्रि के दौरान आपके द्वारा की जाने वाली बुनियादी नवरात्रि पूजा विधि को सूचीबद्ध किया है, यही प्रक्रिया सभी 5 नवरात्रियों के लिए अपनाई जा सकती है।
🚩🚩 दुर्गा पूजा विधि🚩🚩
यहाँ हम नवरात्रि के अवसर पर की जाने वाली दुर्गा पूजा की विस्तृत विधि का वर्णन कर रहे हैं। निम्नलिखित पूजन विधि में षोडशोपचार दुर्गा पूजा विधि के समस्त सोलह चरणों को सम्मिलित किया गया है।
- ध्यानम् एवं आवाहनम्
दुर्गा पूजा का शुभारम्भ देवी के ध्यान एवं आवाहन के साथ होना चाहिये। देवी दुर्गा की मूर्ति के समक्ष आवाहन मुद्रा प्रदर्शित करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये। आवाहन मुद्रा में दोनों हथेलियों को मिलाकर अँगूठे को अन्दर की ओर मोड़कर रखा जाता है।
श्री दुर्गा ध्यान एवं आवाहन मन्त्र
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
ब्रह्मरूपे सदानन्दे परमानन्दस्वरूपिणि।
द्रुतसिद्धिप्रदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्त्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दुर्गादेवीम् आवाहयामि॥ - आसनम्
देवी दुर्गा का आवाहन करने के पश्चात्, अञ्जलि में (दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाकर) पाँच पुष्प लें तथा उन्हें निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये देवी दुर्गा की मूर्ति के समक्ष छोड़ दें तथा मन ही मन देवी से आसन ग्रहण करने का आग्रह करें।
श्री दुर्गा आसन मन्त्र
अनेकरत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम्।
कार्तस्वरमयं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आसनं कल्पयामि॥
- पाद्य-प्रक्षालनम्
देवी दुर्गा को आसन अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, उन्हें चरण प्रक्षालन हेतु जल अर्पित करें।
श्री दुर्गा पाद्य प्रक्षालन मन्त्र
गङ्गादिसर्वतीर्थेभ्यो मया प्रार्थनयाहृतम्।
तोयमेतत्सुखस्पर्शं पाद्यार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पाद्यं समर्पयामि॥ - अर्घ्य-समर्पणम्
पाद्य प्रक्षालन के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सुगन्धित जल अर्पित करें।
श्री दुर्गा अर्घ्य समर्पण मन्त्र
गन्धपुष्पाक्षतैर्युक्तमर्घ्यं सम्पादितं मया।
गृहाण त्वं महादेवि प्रसन्ना भव सर्वदा॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अर्घ्यं समर्पयामि॥ - आचमन-समर्पणम्
अर्घ्य अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें।
श्री दुर्गा आचमन समर्पण मन्त्र
आचम्यतां त्वया देवि भक्तिं मे ह्यचलां कुरु।
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गतिम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥ - स्नानम्
आचमन अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को स्नान हेतु जल अर्पित करें।
श्री दुर्गा स्नान मन्त्र
पयोदधि घृतं क्षीरं सितया च समन्वितम्।
पञ्चामृतमनेनाद्य कुरु स्नानं दयानिधे॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः स्नानीयं जलं समर्पयामि॥ - वस्त्रम्
स्नान अर्पण के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नवीन वस्त्रों के रूप में मोली अर्पित करें।
श्री दुर्गा वस्त्र समर्पण मन्त्र
वस्त्रं च सोमदैवत्यं लज्जायास्तु निवारणम्।
मया निवेदितं भक्त्या गृहाण परमेश्वरि॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि॥ - आभूषण-समर्पणम्
वस्त्र अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आभूषण अर्पित करें।
श्री दुर्गा आभूषण समर्पण मन्त्र
हारकङ्कणकेयूर-मेखलाकुण्डलादिभिः।
रत्नाढ्यं कुण्डलोपेतं भूषणं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आभूषणं समर्पयामि॥ - चन्दन-समर्पणम्
आभूषण अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को चन्दन अर्पित करें।
श्री दुर्गा चन्दन समर्पण मन्त्र
परमानन्दसौभाग्यं परिपूर्णं दिगन्तरे।
गृहाण परमं गन्धं कृपया परमेश्वरि॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः चन्दनं विलेपयामि॥ - कुङ्कुम-समर्पणम्
तत् पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को अखण्ड सौभाग्य के प्रतीक स्वरूप रोली अथवा कुमकुम अर्पित करें।
श्री दुर्गा कुङ्कुम समर्पण मन्त्र
कुङ्कुमं कान्तिदं दिव्यं कामिनीकामसम्भवम्।
कुङ्कुमेनार्चिते देवि प्रसीद परमेश्वरि॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कुङ्कुमं समर्पयामि॥ - कज्जल-समर्पणम्
कुमकुम अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को काजल अर्पित करें।
श्री दुर्गा कज्जल समर्पण मन्त्र
कज्जलं कज्जलं रम्यं सुभगे शान्तिकारिके।
कर्पूरज्योतिरुत्पन्नं गृहाण परमेश्वरि॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कज्जलं समर्पयामि॥ - मङ्गल-द्रव्यार्पणम्
सौभाग्य-सूत्रम्
काजल अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सौभगाय सूत्र अर्पित करें।
श्री दुर्गा सौभाग्य सूत्र मन्त्र
सौभाग्यसूत्रं वरदे सुवर्णमणिसंयुते।
कण्ठे बध्नामि देवेशि सौभाग्यं देहि मे सदा॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सौभाग्यसूत्रं बध्नामि॥
सुगन्धित-द्रव्यम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सुगन्धित द्रव्य (इत्र) अर्पित करें।
श्री दुर्गा सुगन्धित द्रव्य मन्त्र
चन्दनागरुकर्पूरैः संयुतं कुङ्कुमं तथा।
कस्तूर्यादिसुगन्धाश्च सर्वाङ्गेषु विलेपनम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सुगन्धितद्रव्यं विलेपयामि॥ हरिद्रा-समर्पणम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को हल्दी अर्पित करें।
श्री दुर्गा हरिद्रा समर्पण मन्त्र
हरिद्रारञ्जिते देवि सुखसौभाग्यदायिनी।
तस्मात्त्वां पूजयाम्यत्र सुखशान्तिं प्रयच्छ मे॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः हरिद्राचूर्णं समर्पयामि॥
- अक्षत-समर्पणम्
हरिद्रा अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को अक्षत (बिना टूटे चावल) अर्पित करें।
श्री दुर्गा अक्षत समर्पण मन्त्र
रञ्जिताः कुङ्कुमौद्येन न अक्षताश्चातिशोभनाः।
ममैषां देवि दानेन प्रसन्ना भव शोभने॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अक्षतान् समर्पयामि॥
- पुष्पाञ्जलिः
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को पुष्पाञ्जलि अर्पित करें।
श्री दुर्गा पुष्पाञ्जलि मन्त्र
मन्दारपारिजातादि-पाटलीकेतकानि च।
जातीचम्पकपुष्पाणि गृहाणेमानि शोभने॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि॥ - बिल्व-पत्राणि
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को बिल्वपत्र अर्पित करें।
श्री दुर्गा बिल्वपत्र मन्त्र
अमृतोद्भव-श्रीवृक्षो महादेवि! प्रियः सदा।
बिल्वपत्रं प्रयच्छामि पवित्रं ते सुरेश्वरि॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः बिल्वपत्राणि समर्पयामि॥ - धूप-समर्पणम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को धूप अर्पित करें।
श्री दुर्गा धूप समर्पण मन्त्र
दशाङ्गगुग्गुलं धूपं चन्दनागरुसंयुतम्।
समर्पितं मया भक्त्या महादेवि! प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः धूपमाघ्रापयमि। - दीप-समर्पणम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को दीप अर्पित करें।
श्री दुर्गा दीप समर्पण मन्त्र
घृतवर्त्तिसमायुक्तं महातेजो महोज्ज्वलम्।
दीपं दास्यामि देवेशि! सुप्रीता भव सर्वदा॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं दर्शयामि। - नैवेद्यम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नैवेद्य अर्पित करें।
श्री दुर्गा नैवेद्य समर्पण मन्त्र
अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः षड्भिः समन्वितम्।
नैवेद्यं गृह्यतां देवि! भक्तिं मे ह्यचलां कुरु॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नैवेद्यं निवेदयामि। - ऋतुफलम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को ऋतुफल अर्पित करें।
श्री दुर्गा ऋतुफल समर्पण मन्त्र
द्राक्षाखर्जूरकदली-फलसाम्रकपित्थकम्।
नारिकेलेक्षुजम्ब्वादि-फलानि प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ऋतुफलानि समर्पयामि॥ - आचमनम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें।
श्री दुर्गा आचमन मन्त्र
कामारिवल्लभे देवि कुर्वाचमनमम्बिके।
निरन्तरमहं वन्दे चरणौ तव चण्डिके॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥ - नारिकेल-समर्पणम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नारिकेल (नारियल) अर्पित करें।
श्री दुर्गा नारिकेल समर्पण मन्त्र
नारिकेलं च नारङ्गीं कलिङ्गमञ्जिरं त्वया।
उर्वारुकं च देवेशि फलान्येतानि गृह्यताम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नारिकेलं समर्पयामि॥ - ताम्बूलम्
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को ताम्बूल (पान-सुपारी) अर्पित करें।
श्री दुर्गा ताम्बूल समर्पण मन्त्र
एलालवङ्गं कस्तूरी कर्पूरैः पुष्पवासिताम्।
वीटिकां मुखवासार्थं समर्पयामि सुरेश्वरि॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि॥ - दक्षिणा
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को दक्षिणा अर्पित करें।
श्री दुर्गा दक्षिणा समर्पण मन्त्र
पूजाफलसमृद्धयर्थं तवाग्रे स्वर्णमीश्वरी।
स्थापितं तेन मे प्रीता पूर्णान् कुरु मनोरथम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दक्षिणां समर्पयामि॥ - पुस्तक-पूजनम् एवं कन्या-पूजनम्
- पुस्तक-पूजनम्
दक्षिणा अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, दुर्गा पूजा के समय उपयोग की गयीं पुस्तकों का पूजन करें।
श्री दुर्गा पुस्तक पूजन मन्त्र
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्मताम्॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पुस्तकं पूजयामि॥ - दीप-पूजनम्
पुस्तकों के पूजन के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, दुर्गा पूजा में प्रज्वलित दीप देव का पूजन करें।
श्री दुर्गा दीप पूजन मन्त्र
शुभं भवतु कल्याणमारोग्यं पुष्टिवर्द्धनम्।
आत्मतत्त्वप्रबोधाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं पूजयामि॥ - कन्या-पूजनम्
दुर्गा पूजा में कन्या पूजन भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अतः दुर्गा पूजा के पश्चात्, कन्याओं को भोजन करने हेतु आमन्त्रित किया जाता है तथा उन्हें दक्षिणा अथवा उपहार प्रदान किये जाते हैं। कन्याओं को दक्षिणा देते समय निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये।
श्री दुर्गा कन्या पूजन मन्त्र
सर्वस्वरूपे! सर्वेशे सर्वशक्ति स्वरूपिणी।
पूजां गृहाण कौमारि! जगन्मातर्नमोऽस्तु ते॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कन्यां पूजयामि॥
- नीरांजनम्
अब निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करने के पश्चात्, देवी दुर्गा की आरती करें।
श्री दुर्गा नीरांजनम् मन्त्र
नीराजनं सुमाङ्गल्यं कर्पूरेण समन्वितम्।
चन्द्रार्कवह्निसदृशं महादेवि! नमोऽस्तु ते॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कर्पूरनीराजनं समर्पयामि॥ - प्रदक्षिणा
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पुष्पों के साथ देवी दुर्गा की प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करें।
श्री दुर्गा प्रदक्षिणा मन्त्र
प्रदक्षिणं त्रयं देवि प्रयत्नेन प्रकल्पितम्।
पश्याद्य पावने देवि अम्बिकायै नमोऽस्तु ते॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि॥ - क्षमार्पणम्
अन्त में निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पूजा के समय की गयीं, समस्त प्रकार की ज्ञात-अज्ञात त्रुटियों के लिये देवी माँ दुर्गा से क्षमा-याचना करें।
श्री दुर्गा क्षमार्पण मन्त्र
अपराधशतं देवि मत्कृतं च दिने दिने।
क्षम्यतां पावने देवि देवेशि नमोऽस्तु ते॥
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अपराधान् क्षमस्व॥