Vedanamdam

शिवसंकल्प सूक्त का वैज्ञानिक महात्म्य

शिवसंल्पसूक्त
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यज्जाग्रतों दूरमुदैति दैवं तदु सुप्तस्य तथैवेति।
दूरंगमं ज्योताषां ज्योतिरेकं तन्मे मन: शिवसंकल्पमस्तु॥
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वैदिक सनातन शास्त्रों की महिमा ही महान है जो संपूर्ण जीवसृष्टि के हित के लिए ऋषियों द्वारा इस पृथ्वी पर अवतरित हूए। यह सनातन संस्कृति ही ऐसी है जिसमे मानव जीवन के लिए हर किसी अच्छे कार्य करने वाले कर्ता को देवता कहा गया है। इस मानव शरीर में इंद्रियों के कार्य को भी देवता कहा गया है। उदाहरणार्थ मुख से निकलने वाली वाणी की देवता सरस्वती है। इसी प्रकार इस शिव संकल्प सूक्त के श्लोकों के देवता मन है। यह मन एक स्वतंत्र इंन्द्रिय है।
सनातन संस्कृति में जो भी मानव जीवन और मानवता के लिए शारीरिक और मानसिक रुप से अच्छा कार्य करता है वह देवता कहलाए गये हैं। यह संस्कृति हर अच्छा कार्य करने वाले कर्ता के प्रति कृतज्ञता भाव का प्रगटीकरण करती है और इसलिए वह कर्ता पूज्य हो जाता है और देवता कहलाता है।
इस संकल्प सूक्त के देवता ही मन है क्योंकि संकल्प यह मन के द्वारा ही लिया जाता है, और अगर मन ही उचित मार्ग पर ना चले तो वह सन्मार्गी नहीं होगा। मन का नेतृत्व चंद्र देव करते हैं।
इस संस्कृति में कर्मकांड के माध्यम से किसी भी कार्य की शुरुआत करने के पहले पूजा की जाती है, उसमे सबसे पहले गणेश जी की पूजा करके संकल्प लेने का नियम ही है , जिसमे हम पर उस देवता की कृपा और आशिर्वाद रहे इसकी कामना करते हैं। मन को बुद्धि के देवता गणेश जी नियंत्रित और संचालित करते हैं। संकल्प लेने से मन द्वारा उस विचार को दृढ़ता आती है।
शिव संकल्प सूक्त के पहले श्लोक में मन के चंचल स्वभाव का वर्णन है जो मनुष्य के जागृत अवस्था में ब्रम्हांड के किसी भी छोर तक भ्रमण करता है लेकिन मनुष्य के सुप्त अवस्था में याने निद्रावस्था में वह वापिस अपने मूल स्थान पर आ जाता है। यह मन रूपी देवता ज्योतियों की भी ज्योति है जिसको अच्छे संकल्प से मार्गस्थ किया जाए तो इस जीव का और विश्व का कल्याण होगा। इसलिए हे देव ,यह मेरा मन जनकल्याण और विश्व कल्याण के कार्य में शुभ संकल्प युक्त हो यही मेरी कामना है।


सनातन संस्कृति में कभी भी राग, द्वेष, इर्ष्या,मैं और मेरा का भाव नहीं रहा। यह तो पराई संस्कृति का बीज इस संस्कृति में बोया गया और हम विकृत हो गये। वरना हम तो स्वकल्याण से ज्यादा विश्व-कल्याण और वसुधैव कुटूंबकम् के द्योतक हैं।

जयतु सनातन 🚩🚩
जय हिंद 🚩🚩🚩

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